स्वर्गलोक का जल्द रास्ता आसान कराती धुआॅ उगल रही चिमनियां

आमजन सांस व दमें के हो रहे षिकार ,पूंछ रहे बस एक ही सवाल बार बार
कि आॅख कान मूंद कर सोया प्रदूशण नियंत्रण विभाग आखिर कब जागेगा
कानपुर देहात। जहां एक तरफसूबे की आदित्यनाथ योगी की सरकार द्वारा प्रदेश के किसानों द्वारा प्रदेश के किसानों को खेतों में पराली जलाने रो के जाने के लिए कड़े कदम उठाए गए हैं वही औद्योगिक क्षेत्र रनिया के तमाम उद्योग धंधे के परिसरों में लगी मानक विहीन चिमनिया इस क्षेत्र के जन सामान्य के लिए  बिना किसी रोक-टोक के यहां के पर्यावरण में मानव जीवन के लिए जहर घोल रहे हं यहां के पर्यावरण में मानव जीवन के लिए   घुआं रूपी जहर घोल रही हैं प्रदूषण नियंत्रण करने की बात करने वाले प्रदूषण नियंत्रण  बोर्ड के अधिकारी ऐसी उद्योग धंधों के उद्यमियों के विरुद्ध कार्यवाही करना तो दूर की बात बल्कि समय-समय पर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के  अधिकारी ऐसे उद्योग धंधों के उद्यमियों की तरफदारी  करते हुए नजर आ रहे हैं  कहने को इस औद्योगिक क्षेत्र में स्थापित औद्योगिकइकाइयो द्वारा प्रदूषण रहित होने का प्रमाण पत्र  समस्त निर्धारित मानकों की पूर्ति कागजी तो प्राप्त कर लिए गए हैं जबकि हकीकत में यहां स्थित स्थित अधिकतर औद्योगिक इकाइयों द्वारा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के द्वारा तय मानकों की अनदेखी करके अपने उद्योगों को प्रदूषण रहित होने का प्रमाण पत्र बेईमानी से प्राप्त कर लिया गया है प्रदूषण रहित होने का प्रमाण पत्र प्राप्त कर इस औद्योगिक क्षेत्र के अधिकतर उद्योग धंधों द्वारा बड़ी ही बेफिक्री के साथ बिना किसी रोक-टोक के इस क्षेत्र के पर्यावरण में मानव जीवन के लिए प्रदूषण रूपी जहर मिश्रित किया जा रहा है बताते चलें कि अब से करीब 35 वर्ष पूर्व उत्तर प्रदेश की तत्कालीन कांग्रेस सरकार के मुखिया पंडित नारायण दत्त तिवारी द्वारा जनपद कानपुर देहात को औद्योगिक सुने जनपद का दर्जा प्रदान करते हुए यहां उद्योग लगाने वाले उद्यमियों को इस मंशा से विभिन्न शर्तों के साथ उत्तर प्रदेश शासन स्तर से उपलब्ध कराई गई सुविधाओं के अलावा विभिन्न वित्तीय संस्थानों के माध्यम से 33ः के अनुदान के साथ राशि भी उपलब्ध कराई थी रण की धनराशि उपलब्ध कराई थी कि जनपद में अधिक से अधिक उद्योग धंधों की स्थापना हो और औद्योगिक रूप से पिछड़े जनपद कानपुर देहात के जनसामान्य को अधिक से अधिक रोजगार के अवसर प्राप्त हो शासन की मंशा के अनुरूप औद्योगिक क्षेत्र रनिया में भारी संख्या में छोटे-बड़े उद्योग धंधों की स्थापना हुई लेकिन यह औद्योगिक क्षेत्र इस क्षेत्र के स्वच्छ पर्यावरण के लिए घातक सिद्ध हुआ सिद्ध हुआ उत्तर प्रदेश राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों तथा यहां के उद्यमियों की आपसी सांठगांठ के चलते यह औद्योगिक क्षेत्र जल तथा वायु प्रदूषण की अधिकता का शिकार हो गया औद्योगिक क्षेत्र रनिया ही नहीं बल्कि आसपास के गांव के तालाबों और पोखरो मैं दुर्गंध युक्त रसायन मिश्रित पानी इकट्ठा होने लगा इस क्षेत्र के भूगर्भ से नलों  तथा हैंड पाइपों के माध्यम से निकलने वाले शुद्ध पेयजल की जगह पीले रंग का दुर्गंध युक्त पानी निकलने लगा केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट के अनुसार इस औद्योगिक क्षेत्र की भूमि की भीतरी सतह तक क्रोमियम जैसे विषैले रसायन के दुष्प्रभाव होने से इस क्षेत्र में रहने वाले जनसामान्य का जीवन आने वाले समय में खतरे से खाली नहीं है इस औद्योगिक क्षेत्र में स्थापित अधिकतर औद्योगिक इकाइयों में  लगे बॉयलर ओं में प्रतिदिन धान की भूसी  बहुतायत मात्रा में  जलाने के बाद इनो उद्योग धंधों के उद्यमियों द्वारा धान की भूसी से निकलने वाली राख को   को बिना किसी रोक-टोक के क्षेत्र के सार्वजनिक स्थानों तथा संपर्क मार्गों केकिनारो  पर फेकवा  देते हैं वही अपने उद्योग परिसर में लगे बॉयलर की सफाई कराने के लिए बड़े-बड़े पंखों के माध्यम से हवा का झोंका बॉयलर की भट्टी में देकर धान की भूसी की राख चिमनियोके माध्यम से वायुमंडल पर उड़वा देते हैं जिससे कि जहां राष्ट्रीय राजमार्ग से गुजरने वाले मुसाफिरों तथा वाहन चालकों के लिए यहां के वायुमंडल में हवा के झोंकों के साथ उड़रहे धान की भूसी की राख के कण इस क्षेत्र में राष्ट्रीय राजमार्ग पर आए दिन होने वाली मार्ग दुर्घटनाओं का   प्रमुख कारण सिद्ध हो रहा है वही इस क्षेत्र के जनसामान्य के घरों के अंदर तेज हवाओं के झोंकों के साथ धान की भूसी की राख केकणो  की परतें सी जमी रहती है इस औद्योगिक क्षेत्र के निवासियों में  प्रमुख रूप से जिला कांग्रेस कमेटी के महामंत्री सुरेश सक्सेना रामकुमार यादव विजय अग्निहोत्री शुगम शुक्ला ने संयुक्त रूप से कहा कि  औद्योगिक क्षेत्र रनिया और उसके आस-पास केगांवो में  आज जो नारकीय स्थिति उत्पन्न हुई है आज जो नारकीय स्थिति उत्पन्न हुई है उसके लिए यहां के उद्यमियों के साथ साथ उत्तर प्रदेश राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी भी जिम्मेदार हैं।